Tuesday, January 30, 2024

सामाजिक घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering) 7

APEX Hospital (या कोर्ट?) 50% Off?

चलो एक छोटी-सी कहानी सुनाऊँ। कहानी? नहीं हकीकत। APEX hospital के बाद रितु PGI गई और उसकी लाश ही घर आई। ऊपर से मैं शायद बहुत शांत दिख रही थी, मगर। अंदर से जैसे कोई दिमागी दौरा। जिसे बच्चे को देखते हुए, आप उड़ेल भी नहीं सकते। और उसके बाद जो नौटंकियों का दौर चला, उससे घिनौना, शायद ही कुछ देखा हो, ज़िंदगी में। जैसे एक तरफ आसमान में चीलों को मँडराते देखा तो दूसरी तरफ कई सारी आदमी के खोल में चीलों को आते-जाते और उनके ड्रामों को देखा। 

इसके कई महीने बाद, मैं फिर से APEX हॉस्पिटल गई। 

क्यों?   

किसके साथ?

क्या खास था?

क्या तारीखें थी? 

APEX से आई एक नन्हीं कली? या परी? Kali या Pari? दोनों के मतलब कोढ़ के अनुसार अलग हैं? और पार्टियाँ भी अलग? ऐसे ही जैसे, किसी को बोलो Prince, Princess, King, Queen, Rani, Maharani, Raja, Maharaja, Lakshmi, Lakshmibai, Lakhmi, Bal, Her, Hari, Dev, Baldev, Her dev, Har dev, Har-Har, Devi, Deva, Mahadevi, Mahadeva, Kaal, Mahakal, Har Har Dev, Har Har Maha Dev  इनके, और इन जैसे कितने ही और शब्दों के कोढ़ के ज्यादातर, वो अर्थ नहीं होते, जो आम आदमी सोचता है। गुड़ का गोबर भी हो सकता है। और गोबर का गुड़ भी। खैर। वापस, 50% पर आते हैं।                            

आसपास कहीं एक छोटी बहन को लड़की हुई थी। इसमें क्या खास था? ड्रामे, 50% वाले।  

इसी छोटी बहन की पहली शादी से एक लड़की है। जिसे वो पीछे छोड़ आई। उस बच्ची को छाती में साँस की दिक्कत जैसा कुछ बताया, घर बनाते वक़्त CEMENT की वजह से। अब तक ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी, कितनी बच्चों की बीमारियाँ पढ़ चुके आप? सब यहीं आसपास से। 

उसके इलावा छोटी बहन को घर में रोक के रखना, खाने-पीने तक को कुछ ना देना, मारना-पीटना, वगरैह। और खुद राम-रहीम (शायद?) सत्संग में चले जाना। वैसे तो मैं ऐसे-वैसे और कैसे-कैसे गुरुओं को नहीं मानती। मगर, यहाँ से जैसे नफरत-सी हो गई, ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे गुरुओं पे और गुरु-भगतों पे। ये गुरु यही सब सिखाते हैं क्या, अपने भगतों (अंधभक्तों) या चेलों को? सोचो, ये केस कब का होगा? राजनीतिक सामाजिक घड़ाईयाँ रिश्तों की? फिर हूबहू कोढ़ वाले राजनीतिक तमासे, लोगों की असली ज़िंदगियों में? राम-रहीम के आसपास? H#30, Type-4 धमाल। एक और बिग बॉस हाउस। राजनीतिक, सोशल और सामाजिक कहानियों का अड्डा जैसे? वैसे, कैंपस क्राइम सीरीज की कोई फाइल भी मिलती-जुलती है शायद इससे? 

54-days Earned Leave? और राम रहीम? और स्टुडेंट्स की केस घड़ाई, मेरे खिलाफ। वो हरि याणा बंद तो भी टीचर ने नहीं पढ़ाया वाली शिकायतक्या तारीख थी? 25? 2017? और महीना? वैसे हरि याणा क्यों बंद था उस दिन? और दिवाली वाली छुट्टियों में स्टुडेंट कहाँ बैठा था? और हस्ताक्षर कहाँ? फिर से टीचर की झूठी शिकायत?                    

वैसे 

CEMENT क्या है?  

TILES क्या हैं?

TILES पे X टाइप खास डिज़ाइन क्या हैं?

और कहाँ-कहाँ, कैसे-कैसे DESIGN हैं, या रंग हैं?

अरे। ये BP से कहाँ पहुँच गई मैं?    

ROHIT? 

AP? 

BULLET?


ROBIN? 

TB? एक कमरा कई बन्दे? 

HERNIA? 

ऐसे कैसे? और कैसे-कैसे बीमारियाँ होती हैं दुनियाँ में? धकाया हुआ Culture Media? सोशल कल्चर मीडिया? और लोगों की ज़िंदगियों से कैसे-कैसे खिलवाड़? और आप खुद जाने-अनजाने, इस सब का हिस्सा बने हुए हैं? किसके लिए? यही नहीं। अपने बच्चों को भी उसी Culture Media में धकेल रहे हैं। जाने-अनजाने?    

खास नंबर वाली AP Bullet पहले किसी छोटी बहन के पास आई। वहाँ से खास तारीखों को, वो कहीं और खड़ा होनी शुरू हुई। और कुछ वक़्त बाद, उस घर में भी कोई Bullet पहुँच गई? भाभी जा चुकी थी। किसी और जबस्दस्ती सामाजिक समान्तर घड़ाई के धकेल की, घर में आने की कहानी की शुरुआत? मुझे जब भी कोई Bullet दिखती है, ऐसा लगता है, बंद क्यों नहीं हो जाती ये Bullet? इसका तो नाम ही हिंसा जैसा-सा है। हालाँकि, किसी वक़्त मुझे भी बुलेट ठीक-ठाक लगती थी। हालाँकि, भारी-भरकम मशीनों की मैं फैन कभी नहीं रही।    

उसपे, पता है वो किसकी पहुंचाई हुई है? ये अहम है? 

इन सब ज़िंदगियों का, इनकी ज़िंदगियों के उतार-चढ़ावों का और फिलहाल इन ज़िंदगियों में जो चल रहा है उसका, किसी Hyderabad, Telangana या Andhra Pradesh से कोई लेना-देना हो सकता है क्या? या शायद ऐसे ही किसी और के, किसी घटना या दुर्घटनाक्रम से? मैं खुद जानना चाह रही हूँ, जानकारों से। क्यूँकि, पता नहीं क्यों, मुझे इन ज़िंदगियों में या आसपास के इन घरों में, सबकुछ जैसे उल्टा-पुल्टा सा लगता है। इसकी इस वक़्त की कहानी जैसे, इससे या इस फाइल से मिलती-जुलती है। उसकी, उस वक़्त की कहानी, जैसे उससे? पता ही नहीं, कैसे-कैसे जाले हैं? जोड़-तोड़ और मरोड़ हैं? और कैसे-कैसे कोढ़?              

गूगल ज्ञान और खास तरह की AI Enforcements?


अब कोई उस गुड़िया के नाम पे 50%, 50% करने लगे, तो आप क्या करेंगे? जबरदस्ती का Psycho war चल रहा है। यूँ लग रहा है, जैसे लोगों के दिमाग की common sense को ही ब्लॉक कर दिया गया है। Long Term में बच्चे पर ऐसे Enforced Dramas का प्रभाव क्या होगा? अगली पीढ़ी के खास रोबोट्स का उत्पादन और फिर उनकी पैदाइशी ट्रेनिंग ऐसे शुरू होती है और आगे चलती है। बच्चे की पैदाइश से लेकर, तारीख, जगह, हॉस्पिटल, डॉक्टर और कितने सारे छोटे-मोटे details, सब कौन कंट्रोल कर रहा है? और उससे भी अहम है, कैसे और क्यों?

हमारे बच्चों को Psycho Manipulations, Alterations, Psycho Wars, Psycho Operations (Military या Civil) जरुर पढ़ने चाहिएँ। 24 Hour, 365 Days, जब आप observations और Surveillance Abuse के घेरे में हों, तो ज़िंदगियाँ बिलकुल लैब-सी कंट्रोल होती हैं। समाज की इस लैब के Standards और Protocols भी बिलकुल ऐसे ही डिज़ाइन और operate होते हैं, जैसे किसी भी Scientific लैब में। 

ये उदाहरण इसलिए दिया, की एक तो ये तरो-ताज़ा है। उसपे, इससे पहले आसपास के ही कई बच्चों की पैदाइशों से लेकर, हॉस्पिटल, उन बच्चों की बीमारियों और फिर स्कूल जाने तक के सफर को थोड़ा पास से देखने का मौका मिला, इन पिछले कुछ सालों में। खासकर, जब से मैं घर आई हूँ।  
 
आगे और कई ऐसे उदाहरण मिल सकते हैं, अजीबोगरीब ड्रामों के, जहाँ बच्चों तक को शामिल कर लिया जाता है। जो मेरे हिसाब से इन बच्चों और माता-पिता के लिए भी सही नहीं है। वो उनकी ज़िंदगियों को कोई अजीबोगरीब दिशा दे रहे हैं। जिनसे ना सिर्फ सावधान रहने, बल्की बचने की जरुरत है।  
    
मगर बचोगे कैसे, जिनके बारे में तुम्हें मालूम ही नहीं? ये भी अहम है। वो भी जानने की कोशिश करेंगे।                     

Wednesday, January 24, 2024

नशा मुक्ती केंद्र, सामाजिक घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering) 1

नशा है, तो नशा मुक्ती केंद्र भी होंगे? 

Deaddiction Centre, नाम तो सुना होगा?

नहीं सुना? बड़े खुशकिस्मत इंसान हैं आप, फिर तो शायद? चलो, अगर बहुत खुशकिस्मत नहीं हैं, तो भी बड़े क्लेश से दूर हैं। क्यूँकि, ऐसी-ऐसी जगहें हम तभी देख या सुन पाते हैं, जब ऐसे बिमारों से पाला पड़ता है। और जो ऐसे बीमारों को झेलते हैं और फिर भी चाहते हैं की इनका भी भला हो। क्या कहूँ और तो, महान हैं वो। उससे भी महान, जो उनकी इस बीमारी से निकलने में मदद करते हैं, नशा मुक्ती केंद्र और उनमें काम करने वाले। या ये दोनों ही वहम हैं?              

Tuesday, January 23, 2024

सामाजिक घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering)

बिमारियों के कोढ़ और विज्ञान वाली राजनीती

आपको कौन-सी बीमारी कब और क्यों होगी? ये कौन बताएगा? आपका माहौल? 

Social Media Culture?

Social Media Culture? कैसे परिभाषित करेंगे उसे आप?

वहाँ के राजनीतिक कोढ़ को जानकार?

सुनील Chronic Alcoholic है? 

कैसे सिद्ध करेंगे ये आप? 

उसके हालात नहीं बता रहे क्या? "जैसा की हमारी बड़ी भाभी ने भी कहा, वो तो पीता है, कबसे। " 

जी, वही तो मैं कह रही हूँ, भाभी। वो पीता है, कबसे। आपको भी पता है। आपके बेटे को भी। उसके चाचा को भी। आसपड़ोस में, सबको। रिश्तेदारों को भी। वो पता नहीं, बचा कैसे हुआ है? उसके साथ के तो कितने "राम नाम सत्य" हो गए। जैसे, अपने राम लल्ला (अपने? पर मैं तो नास्तिक हूँ), अभी 22-01-2024 को मोदी के कर कमलों से सुशोभित होते हुए, विराज-मान हुए? 

ये वि-राज कौन है? 

VI? RAJ?  या कुछ और?

बुआ, ना। बेबे, के बीमारी थी, आपने कमांडों कै? बच्चे को एलर्जी, 4-5, साल तक साबुन, शैम्पू वगैर बंध। राज-नीती का कोढ़ जैसे, कुछ-कुछ जैसे COVID? कौन समझायेगा इसे? केजरीवाल? या मनीष? सिसोदिया? अरे वो तो जेल में हैं। क्यों? ये भटकती आत्मा, किसी न किसी प्रोफाइल पे तो जरुर, कुछ न कुछ जानकारी पाएगी? मगर किसपे? धन्यवाद जी, ऐसे-ऐसे, पढ़े-लिखे और उसपे कढ़े हुए राजनीती वालों का भी। नहीं तो, कहाँ ये अजीबोगरीब राजनीती वाले, ताने-बाने समझ आते?        

चलो वापस राम लल्ला पे आते हैं    

कोई तो होगा ना, थोड़ी बहुत मदद करने वाला? तो आपको ऐसे छोटे भाई की मदद करनी चाहिए? या ऐसे में उसकी जमीन, धोखे से अपने नाम करवा "बोतल दो, जमीन लो", वाली लालची लोगों की कहावत को सिद्ध करना चाहिए?

ये तो आप के मान हो रहे हैं, आप। कहाँ के भगवान? वैसे, इस मान का पंजाब के किसी मान से कोई लेना-देना है क्या? वो भी "Alcoholic"?  फिर तो किसी ना किसी पार्टी का alcohol के खिलाफ भी "अभि"  यान होगा? क्यूँकि, विज्ञान के अनुसार तो ये बीमारी है। है क्या, कोई पार्टी ऐसी?  अभी का षेक  तो तभी पूर्ण हो सकता है। वरना तो, क्या बोलेंगे इसे? संस्कारी सरकारें ये ठेके बंद क्यों नहीं करती? क्या मिलता है इनसे? योगी जी, कोई और करे ना करे, कम से कम आप तो करें? फिर तो हमारे खट्टर को भी शायद कुछ सोचना पड़े? और कितने ही और राज्यों को? नहीं? अरे, शराब तो कमाई का साधन है, सरकारों का, इसपे बैन कैसे हो सकता है?            

और भाई साहब आप तो दानी है? ये आपका आर्य मॉडल स्कूल दान की ही निशानी है? नहीं?

कितना तो दान करते हैं?

OS CAR 10-12-2014 (किसकी शादी थी बच्चो, आसपास? किसी छोटी बहन की? कहाँ? वो किस कहानी में उलझी हुई है, आजकल?) 

छोटी बहन, पीता है एक राजनीतिक कोढ़ है, जिसका अर्थ है, पीटा है। समझे कुछ? और जी सज्जन जी, आप क्या कहेंगे? अब ये कौन सज्जन है? और कहाँ, कहाँ हैं? क्या कहें, उनके बारे में? वैसे यूनिवर्सिटी वाले सज्जन की बीवी भी मायके बैठ गई क्या? तो ये कोई और महान सज्जन, कैसे इस सामान्तर घड़ाई का हिस्सा बना? सोचो?        

सामाजिक घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering)?  यही करती है क्या राजनीती? और इस सिस्टम का हिस्सा हैं, हम?  

और यो सुनील कुमार कौन सा ऑस्कर ले रहा है? 

अरे, तू (Sunil) हिमाचल कब जाएगा? 
क्यों जाता है वहाँ?  
किसके पास? 
क्या करने?
कब से? 
छोड़ देता है क्या पीना, वहाँ जाके?
सच में?
वैसे ये HP की कहानी क्या है?  
संजू कोई मूवी भी है?
 और कोई लैपटॉप भी?
कौन से वाला?
इन सबका खाटु से क्या लेना-देना? या 14 से?    
इसका OS CAR या PGI रोहतक से क्या लेना-देना हो सकता है?    

PGI JAN, 2016  तारीख पे तारीख, जैसे? 
यहाँ क्या खास था?
अपनी छोटी बहन की तरफ से आपको खास ऑस्कर दिया जाता है। 
सहर्ष स्वीकार करें। 
आप गौ-दान करने क्यों पहुँचे हुए हैं?
वहाँ गायों के भी कान बींधे हुए हैं क्या?
क्या नंबर हैं उनके?
मैं तो ये जो गलियों में यहाँ-वहाँ आती हैं रोटी लेने, बस इनके कानों के नंबर देखती हूँ। वैसे इधर-उधर घर वाली गायों, भैंसों और सांडों के भी देख लेती हूँ, कभी-कभी। एक कहानी तो बनती है, उनपे भी। कोई ऑनलाइन रिकॉर्ड भी होगा? किस एरिया में गायों, भैंसो या सांडों के कौन-कौन से कोड हैं? किसी को पता हो तो बताना, प्लीज। और कब-कब, वो कहाँ-कहाँ ट्रांसफर होते हैं या माइग्रेट करते हैं?     
अरे भाई साहब, यहाँ तो एक भी गाय नहीं दिख रही। आप किनको दान कर रहे हैं, ये? वैसे, किसी भी जानवर के लिए या दीन-गरीब के लिए सेवा-भाव अच्छी बात है। मगर, उसके नाम पर खामखाँ का प्रदर्शन नहीं। मुझे तो उनके नाम पे खाने वाले बहुत बुरे लगते हैं। सभी को लगते होंगे शायद?    
   

गायों के लिए दान करने वाले, 
इंसानों को बोतल देकर, दुनियाँ से चलता कर देते हैं?
सिर्फ 2-कनाल जमीन के लिए?   




आपकी छोटी बहन, 

विजय दांगी लिखूं या मंजु?

वैसे जानते तो होगे? 

Sunday, January 14, 2024

स्कूल और दो कनाल ज़मीन (Protection?)

सुना है उसकी जान को खतरा है? शराब से? या दो कनाल से? या किसी और चीज से?

जिन्हें राजनीतिक जुए की मार आम लोगों पे कैसे-कैसे होती है, को जानना हो, वो इस शराब लत वाले इंसान पे फोकस कर सकते हैं। बहुत-सी मौतों के राज समझ आएंगे और तारीखों के भी। वो शराबी नहीं है, उसे शराबी सिस्टम की जरुरतों या कहो पार्टीयों की जरुरतों ने बनाया है। थोड़ा ज्यादा हो रहा है ना? और उसपे मैं ये कहूं की ये ज्यादातर आम-आदमियों पे लागू होता है। सिस्टम। 

बड़े लोग सिस्टम को बनाते हैं, अपनी जरुरतों के अनुसार। और आम-आदमी बनता है, उनकी जरुरतों का मोहरा, गोटी। इनमें वो भी हो सकते हैं, जो आज इस सिस्टम की या किसी एक पार्टी की जरुरत के अनुसार, इस सामाजिक सामान्तर घड़ाई का हिस्सा बन चुके हैं। जिस किसी वजह से। अगर आप गाँव के किसी स्कूल से सम्बंधित है, तो थोड़ा बहुत पैसा और ठीक-ठाक ज़िंदगी होते हुए भी, सामाजिक सँरचना के पिरामिड में आखिर वाले पायदान पे ही हैं। गाँव आज भी पिरामिड का वही हिस्सा हैं। हाँ। उस गाँव वाले पिरामिड में हो सकता है, स्तिथि थोड़ी-सी सही हो।        

सिस्टम एक पिरामिड है। इस पिरामिड के तीन अहम हिस्से हैं।  

उत्पादक (Producers) : पैदा करने वाला, जैसे खाना, कपड़ा और मकान। और भी कितनी ही तरह के उत्पाद, जो इंसान प्रयोग करता है।           

उपभोगता (Consumers) : प्रयोग करने वाला  

सफाई कर्मी (Decomposers) : साफ़-सफाई करने वाले, किसी भी तरह की 

जहाँ इन तीन हिस्सों में संतुलन है, वो घर, परिवार या समाज संतुलित है। वो इंसान संतुलित है। जहाँ इनमें से किसी एक में भी कहीं कुछ गड़बड़ है या असंतुलन है, वो समाज असंतुलित है। वो सिस्टम असंतुलित है। वो घर, परिवार,  इंसान असंतुलित है।   

स्कूल और दो कनाल ज़मीन का इस सबसे क्या लेना-देना? 

सामाजिक सामान्तर घड़ाई 

चलो एक दारु-लत वाले इंसान की कहानी सुनते हैं । सुना है उसकी जान को खतरा है? शराब से? या दो कनाल से? या किसी और चीज से? 

शायद इसीलिए, भतीजे ने (दूसरे दादा के बच्चे, रोशनी बुआ वाला घर), वो ज़मीन खरीद ली? क्यूँकि, उसने खुद ऐसा बोला की बुआ Protection के लिए ली है। हम नहीं लेते, तो कोई और लेता। किसके और कैसे Protection के लिए? ये समझ नहीं आया बुआ को। ये शराब दो और ज़मीन लो के गाँवों में ही इतने किस्से क्यों मिलते हैं?    

सबसे बड़ी बात, क्या वो ज़मीन बिकाऊ थी? सुना, कुछ वक़्त पहले तो वहाँ स्कूल बनने वाला था। भाभी के जाने के बाद शायद कोई छोटी-मोटी रहने लायक जगह या कुछ ऐसा-सा ही। बुआ को हमेशा के लिए गाँव रहना नहीं, तो किसके काम आता वो? अरे वो तो पैसा यूनिवर्सिटी ने रोक रखा है ना? वैसे यूनिवर्सिटी की उस छोटी-मोटी बचत में, मैं अपने नॉमिनी बदलने की रिक्वेस्ट भी दे चुकी, काफी पहले। मगर, जाने क्यों आज तक यूनिवर्सिटी ने ना वो नॉमिनी बदले और ना ही मुझे अभी तक वो पैसा दिया। जाने क्या-क्या होता है दुनियाँ में? और क्यों होता है? क्या इसीलिए, की ये थोड़ी-सी किसी भाई की, खास जगह वाली ज़मीन बिकवाई जा सके? क्यूँकि, अब जो नॉमिनी में नाम हैं, उनमें एक ये है, जिसकी ज़मीन बिकवाई गई है। और दूसरा नाम भतीजी। माँ और छोटे भाई का हटा दिया, क्यूँकि उन्होंने कहा की उन्हें जरुरत नहीं है। इस भाई का जैसे अपहरण किया हुआ है और बोतल सप्लाई हो रही हैं। उस हिसाब से तो जल्दी ही खा जाएँगे इसे। या इसीलिए कुछ अपने कहे जाने वाले लोग, किसी गरीब का फायदा उठा रहे हैं? बहन तो कोई सहायता कर नहीं सकती, इस हाल में? बचा कौन? माँ तो वैसे ही आई-गई के बराबर है? भाई क्यों और कब तक भुगतेगा, ऐसे इंसान को?          

वैसे घर पे माँ-बहन को तो जरुर बताया होगा, ये जमीन खरीदने वाले अपनों ने? क्यूँकि, वो माँ के पास घर आता-जाता था और खाना भी वहीं खाता था। कुछ होता तो हॉस्पिटल बहन लेके जाती थी। दो बार तो शराब के नशे की वजह से एडमिट भी हो चुका और deaddiction सेंटर भी जा चुका। ये अजीबोगरीब किस्से-कहानियाँ कैसे और कहाँ-कहाँ जुड़े हैं, ये किन्हीं और पोस्ट में। अगर नहीं संभाला गया होता, तो कितने ही उसके आसपास वालों की तरह, राम-नाम-सत्य हो चुका होता।  

मगर जबसे ये ज़मीन के चर्चे शुरू हुए, खासकर भाभी के जाने के बाद, तबसे कुछ और भी खास चल रहा है। बंदा जैसे अपहरण हो रखा हो। कई-कई दिन फ़ोन बंद। उठाए तो टूल। बहन तो अब तक deaddiction centre भेझ चुकी होती, ऐसे हाल में। मगर, अबकी बार कुछ गड़बड़ है शायद? उसे शराब से दूर और पोस्टिक खाने की खास जरुरत है। मगर कहाँ का खाना, जब शराब देके सब निपट जाए?   

लगता है Protection के लिए काफी पैसे दे दिए? शराब पीने वाले को पैसा? उसे बचाने के लिए या उसका राम-नाम सत्य करने के लिए? अरे नहीं, पैसे उसे नहीं दिए। सिर्फ कोर्ट के जमीन वाले पेपर्स पे ऐसा लिखा है। 1 लाख सामने ही एक पड़ौसी हैं, उन्हें दिए हुए हैं। इन्हीं पडोसी ने बताया, की उन्हीं में से थोड़े-बहुत ले लेता है। 1.5 लाख और कहीं बताए, उस पड़ोस वाले भाई चारे ने। घर वालों से क्या खतरा था, उन्हें क्यों नहीं? अगर ये भी मान लें, की माँ या भाई ने बोलना ही छोड़ दिया है उससे, तो बहन के बारे में क्या कहेंगे? सबसे बड़ी बात, बहन जमीन खरीदने वालों के घर तक गई, जब सामने आया की ऐसा कुछ चल रहा है, या हो चुका। अपना समझ के, की ये मामला क्या है? और खरीदने वाले की माँ बोले, हमें तो खबर ही नहीं? लगता है स्कूल प्रधान चाचा को भी, अब तक भी खबर नहीं हुई? बाकी फोन उठाना या मेसेजेस का जवाब देना, शायद उसके संस्कारों में नहीं। कितने संस्कारी लोग हैं?         

विपरीत परिस्तिथियों का फायदा उठाओ और हालात के मारे को और जल्दी ऊपर पहुंचाओं? बहुत-सी बातों और हादसों पर यकीन नहीं होता। ऐसे, जैसे ज़मीन के पेपर आपके पास आ चुके हों। बेचने, खरीदने वाले और गवाहों के फोटो और अजीबोगरीब-सा, पैसे का हिसाब-किताब भी। ज़मीन, वो भी उस जगह, सच में इतनी सस्ती है? कोड़ी के भाव जैसे। कुछ वक़्त पहले, मैं खुद ज़मीन ढूढ़ रही थी, यहीं आसपास। मुझे तो इतनी सस्ती ज़मीन, कहीं सुनने को भी नहीं मिली। ये स्कूल वाले देंगे इतने में? खुद इन्होंने अभी पीछे काफी किले खरीदे हैं, कितने में? वो भी पानी भरने वाली बेकार-सी ज़मीन। इस ज़मीन के साथ वाली ज़मीन नहीं। शायद इसीलिए, माँ-बहन से बात तक नहीं करना चाहते?      

उसपे ये गवाह कौन हैं? क्या खास है उनमें? घर या आसपास से ही कोई इंसान क्यों नहीं? घर वालों के क्या आपस में जूत बजे हुए हैं? या वो देने नहीं देते? जिसकी बहन कल तक खुद ज़मीन देख रही थी, वहीं आसपास, वो वहीं की ज़मीन क्यों बेंचेंगे? मतलब, धोखाधड़ी का मामला है?

कोर्ट्स को शायद इतना-सा तो कर ही देना चाहिए की किसी को कोई आपत्ति है या नहीं, जैसा एक नोटिस, कम से कम पुस्तैनी ज़मीनो के केसों में घर तक पहुँचवा दें, अगर ज़मीन किसी के नाम हो तो भी। अगर ऐसा हो जाए तो कितनी ही औरतें या परिवार वाले, बेवजह के कोर्ट्स के धक्कों से बच जाएँ। हमारे इन रूढ़िवादी इलाकों में हक़ होते हुए भी, पुस्तैनी जमीनों को ज्यादातर आज भी, माँ, बहनें नहीं लेती। मगर इसका अर्थ ये भी नहीं होता, की कोई भी ऐरा-गैरा, नथू-खैरा या जालसाज़ उन्हें धोखे से अपने नाम कर ले। कोई इंसान पिछले कई सालों से दारु की लत से झूझ रहा हो, तो उसका मानसिक संतुलन सही है या नहीं, ये सर्टिफिकेट कौन देगा? वो जो सालों से उसे झेल रहें हैं, और बचाने की कोशिश कर रहे हैं? या वो, जिनकी निगाह, उसकी ज़मीन पे हैं? और ऐसे लोगों को ये ज़मीनों के खरीददार, पैसे भी देते होंगे? कुछ बोतल ही काफी नहीं होंगी? उसकी कहानी किसी और पोस्ट में। क्यूँकि, ऐसी कई कहानियाँ आसपास से सामने आई।      

अपने ही आदमी हैं? घर कुनबा है? इसीलिए, पब्लिक नोटिस लगाना पड़ रहा है, की किसी सुनील की कोई ज़मीन ना बिकाऊ थी, ना है। शराब लत वाले इंसान को बोतल देके, ज़मीन लेने की कोशिश ना करें। और अगर ये पेपर सच हैं, जो मेरे पास थोड़ा लेट पहुँचे हैं शायद, तो इसका साफ़-साफ़ मतलब ये है, की खरीदने वाला भगोड़ा इसीलिए हो रखा है की धोखाधड़ी है। वरना, मैसेज करो तो जवाब नहीं और घर जाओ तो गुल हो जाता है, भतीजा। 

सामाजिक सामान्तर घड़ाई मुबारक हो। आखिर इस पीढ़ी का नंबर भी तो, कहीं न कहीं से तो शुरू होना ही था? कितना बढ़िया हुआ है ना? अच्छा लग रहा है? बेहतर होता, अपने आसपास की सामाजिक सामान्तर घड़ाइयों से सीख लेके, ऐसे ओछे गुनाह से बचते। अगर शराबी चाचा की सच में कोई फ़िक्र होती, तो उसके वो हाल ना होते, जो हो रखे हैं। वो आजकल है कहाँ और रहता कहाँ है, या खाना वगैरह कहाँ खाता है, ये तो अता पता जरूर होगा? भगोड़ा होने की बजाय, बेहतर होगा की बुआ से संपर्क करें।      

Wednesday, January 10, 2024

जमीन के कोढ़ की अजीबोगरीब राजनीती (जंग कालिखि?)

ज़मीनें खा गई, लोग कैसे-कैसे?

या लोग खा गए, ज़मीने कैसी-कैसी?

या जुए वाला सिस्टम और राजनीती खाता रहा है और खाता रहेगा इंसान कैसे-कैसे? रिश्ते कैसे-कैसे? ज़मीने कैसी-कैसी? और जीव कैसे-कैसे?

नौटंकियाँ, हकीकत और ज़िंदगियाँ? 

सिर्फ कुछ दिखाने या बताने के लिए? या सच में ज़िंदगियों को बदलने के लिए? अच्छे या बुरे के लिए? औरतें जब जमीनें होंगी, वो भी लोगों की प्राइवेट प्रॉपर्टी जैसे, तो कैसे-कैसे किस्से होंगे? कैसी-कैसी कहानियाँ होंगी? और कैसे-कैसे झगड़े होंगे?      

नाटकों को जब आप हकीकत समझने लग जाएँ। और हकीकत में नाटक जीने लग जाएँ, तो क्या होगा? वही जो हो रहा है। क्या हो, अगर कोई शातीर लोग अपनी हकीकत को आपने थोंपने लग जाएँ और आप उसी को हकीकत मान जीने लग जाएँ, पता होते हुए? या शायद पता ना होते हुए? आसपास की सब ज़िंदगियों की कहानियाँ कुछ-कुछ ऐसी ही हैं। 

आपको एक नाटकनुमा जहाँ पकड़ा दिया गया है, जिसे राजनीतिक पार्टियाँ जैसे चाहेंगी, वैसे घुमाएंगी। तो घुमते रहो, उनके अनुसार। आसपास के कितने ही केस सामाजिक सामान्तर घड़ाईयाँ हैं। आम आदमी को कैसे पता चले की वो सामान्तर घड़ाईयाँ हैं? जैसे सुशीला दीदी और संतरो कार केस और किसी खास जगह ब्रेक फेल? 

तीन abortions या फेल डिलीवरी के बाद किसी को एक लड़की हुई और वो पुरे घर का गठजोड़ बन गई जैसे। अब वो कुछ साल की हो चुकी थी और उन्हें एक लड़का चाहिए था। माँ का शरीर जवाब दे चुका था या पैसे की कोई दिक्कत थी? शरीर जवाब दे चुका था शायद? लग तो ऐसे ही रहा था। जब तक सिस्टम का बेहुदा जाला नहीं समझ आ रहा था। सिर्फ तब तक। हकीकत, बच्चा पैदा ही नहीं होने दिया जा रहा था? 

तुम ये कैसे कह सकते हो?

ऐसे ही जैसे, दो बच्चीयों के बालों की बनावट बदलने लग जाती है। जिसके पैदाइशी घुँघराले बाल थे, वो सिल्की होने लगे थे और जिसके पैदाइशी सिल्की बाल थे, वो घुँघराले होने लगे थे। 

ऐसे ही जैसे, माँ को 8-9 महीने से कोई पेट दर्द था। और जब उनकी पथरी का इलाज हुआ दिसंबर 2019, तो वो पूरा ड्रामा था। बिलकुल ऐसे जैसे, कोई M.Tech exams स्कैंडल जैसे। 3-1 cuts जैसे। 3 ईधर-उधर और एक नावल के पास। ठीक ऐसे ही जैसे, वो खास एम्बुलेंस दौड़ी थी, उस खास डायग्नोस्टिक सेंटर। और उसकी बेटी (मुझे) को घुमाया गया था इधर से उधर, जाने क्या दिखाने या क्या लेने।

ठीक ऐसे जैसे, मुझे जाड़ दर्द था और मैं गई थी PGI और मुझे मेरे अपने दोस्तों ने (दोस्तों?) घुमाया था यहाँ-वहाँ, इधर-उधर, जाने क्या-क्या दिखाने और क्या-क्या बताने? और आखिर में जाड़ में लगाया गया था वो अजीबोगरीब-सा इंजेक्शन। काँप गया था शरीर पूरा, दर्द से आँखों में थे आँशु और पसीना-पसीना पूरा शरीर। किसी जाड़ का इलाज तो पहले भी हुआ था, मगर ये क्या था, जो समझ से बाहर था? और उठ खड़ी हुई थी मैं, ईलाज ना करवाने के लिए या शायद कहना चाहिए की निकल आई थी वहाँ से। रविवार को जब घर आई, तो पता चला भाभी को भी जाड़ दर्द की शिकायत थी। और उन्होंने मेरा PGI डेंटल का अनुभव जान, जहाँ वो जा रही थी, उसी हॉस्पिटल जाने की सलाह दी थी। बाला जी वाला ईलाज चल रहा था उनका। जय बजरंग बलि? मैं भी वहीं पहुँच चुकी थी। और जहाँ तक मुझे मालुम था, तो फीलिंग होनी थी, मगर जाड़ ही निकाल दी गई थी। 2018 या 2019 की ही बात हैं ये।               

ऐसे ही जैसे, अभी पीछे एक खास तरह का ड्रामा सामने आया। काफी कुछ ड्रामा और काफी कुछ हकीकत। काली थार और दो कनाल जमीन। फिर से वही स्कूल के पास की ज़मीन। दो भाईयों का आधा किला ज़मीन, मतलब चार कनाल। वही दूसरे दादा के स्कूल के पास की ज़मीन, जिसपे भाई-भाभी का स्कूल बनना था। मगर फिर कुछ हुआ और भाभी ही नहीं रहे। क्या हुआ? वो जो बताया और दिखाया जा रहा था? या वो जो भाभी के जाने के बाद शुरू हुआ? वो सब काफी कुछ यहाँ-वहाँ लिखा जा चुका। 

2023 के आखिरी महीने पे चलते हैं। 

15 दिसंबर को पता चलता है, की 14 दिसंबर को स्कूल वालों ने वो जमीन खरीद ली। कौन हैं ये स्कूल वाले? दूसरे दादा के बच्चे। शायद भारत के चीफ जस्टिस बेहतर बता पाएँ इसपे? हैं ना अजीबोगरीब जहाँ? बड़ी ही छोटी-मोटी सी बातें और अजीबोगरीब से झगड़े, छोटे-मोटे लोगों के यहाँ। और पता बड़े-बड़े लोगों को होता है? जरुरी नहीं पता होता है, सही शब्द हो। मगर जब भतीजी कोई मूवी या दादी वाले सास-बहु के सीरियल देख रही हो और आप कहें कुछ ढंग का देख ले। और वो कहे हाँ, तारे जमीन पर देख लूँ। बच्चों की मूवी है। अब शायद तारे जमीन पे ऐसे भी होते हैं?


     

वैसे अमिताभ बच्चन हमेशा खास numerals के साथ ही ट्वीट क्यों करते हैं? पता चले तो मुझे भी बताना।    

कुछ-कुछ, ऐसे ही जैसे -- "जाओ ऑनलाइन ले लो सब। ऑफलाइन तो तुम्हें पसंद नहीं?" 

या कोई दीदी को you. बना दे और कोई u? 

यहाँ YES! बैंक वाला ES नहीं है। सुना है, cryptic writing (जिसे मैं कोढ़-कोढ़ करती रहती हूँ) में CAPITAL LETTER, small letter, full stop, comma, colon ( : ), या gap के आने से ही अर्थ का अनर्थ और अनर्थ का अर्थ हो जाता है। Grammar बॉस जैसा-सा झमेला समझो।         

फिर से कोई 14? 

क्या खास है इसमें?

 राम मंदिर? Baptism? 3-1? 14? 15?    

सैक्टर 14 से संबंधित 2010 का कोई कांड? या कुछ और? 

मेरी i10 का खास ड्रामे के साथ, सोम समोसे, रोहतक के यहाँ से, फिर से 14 तारीख को अपहरण जैसा-सा कुछ? 

या फिर उसके बाद सैकंड हैंड ली गई, संतरो का किसी 14 को ब्रेक फेल होना, गाँव की किसी खास जगह?  

काली थार और वो खास नंबर, का इन सब इवेंट्स से क्या कनैक्शन हो सकता है? जानते हैं अगली पोस्ट में।