Monday, October 27, 2025

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 25

सुना है, एक महीना ही होता है RTI जवाब के लिए? वो आज खत्म हो रहा है। तो उस ज़मीन का धोखाधड़ी वाला लेन-देन भी ख़त्म हो चुका। वो जिनकी थी, उन्हीं की है और रहेगी। हाँ। अब लड़की और आ गई है, उस लिस्ट में। देखते हैं की जवाब और कारवाही अभी होगी या इस धंधे में संलिप्त कोर्ट और जज अपने चेहतों को और वक़्त देंगे? ये सब पूछने वाले का पत्ता साफ़ होने तक और इंतजार करेंगे? 

इरादे नेक भी हों, मगर तरीके गलत, तो परिणाम भी सही कहाँ होते हैं?  

एक trust या society, जो शिक्षा के नाम पर बनाए गए, मगर, स्कूली और शिक्षा के धँधे वालों के पास जवाब नहीं है की 

उनके पास कुल कितनी प्रॉपर्टी है? 

कब, कहाँ-कहाँ, कितने में और किन-किन लोगों के नाम पर खरीदी गई?

 खासकर, पिछले कुछ सालों में उन्होंने कितनी प्रॉपर्टी, कहाँ, कहाँ और किस, किसके नाम पर खरीदी है?

और इतना पैसा उनके पास कहाँ से आया? 

अजय दांगी का इस सबमें क्या लेना-देना है? उसकी ज़मीन और सुनील की ज़मीन का कैसा हिसाब-किताब है यहाँ? ये अपने आप में सारी पोल पट्टी खोल रहा है।  एक की ज़मीन करोड़ों की और उसी किले की दूसरे भाई की ज़मीन कौड़ी की? हकीकत ये है, की वो अनमोल है और बिकाउ ही नहीं है। 

सबसे बड़ी बात, अजय की ज़मीन का लेन-देन कब हुआ? ऐसा क्या विवाद उठ खड़ा हुआ, की उसे मेरे द्वारा सुनील की ज़मीन की 2 बोतल के बदले धोखाधड़ी का मुद्दा उठाने के बाद ही ज़मीन बेचनी पड़ी?   

अपनी बहन-बेटियों को गोडो, चोदो के लीचड़ जुए बंद करो गुंडों। और ये कुर्सियाँ? कोठे के धँधे के एजेंटों की कुर्सियाँ हैं या शिक्षा के संस्थानों की? या शायद खास किस्म के राइटर और डायरेक्टर की हैं। कोई एक्सपेरिमेंट के नाम पर इम्प्लांट रखते हैं और कोई मूवी बनाते हैं। और खास इफेक्ट्स के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं।      

और सुनो, जब कोई ज़मीन अगली पीढ़ी के नाम उतरती है, तो लड़की के नाम भी उतरती है या नहीं? अगर नहीं, तो लड़की से हस्ताक्षर तो लिए जाते होंगे? या वो भी कोई और ही उसके नाम पर कर देता है? ये तो एक और धोखाधड़ी हो गई। या मान लो, जिसने नाम करवाई, उस वक़्त ऐसा कोई मुद्दा ही नहीं था। बाद में वो मुद्दा आ गया, और लड़की ने अपनी ज़मीन देने से मना कर दिया। खरीदने वालों को साफ़-साफ़ बता दिया, की आप नहीं खरीद सकते। मगर, वो फिर भी कहें की खरीद ली? तो कैसे देंगे बेचारे, ऐसी RTI का जवाब? धोखाधड़ी के सिवाय उनके पास कुछ है ही नहीं बताने को?         

Sunday, October 26, 2025

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 24

18-07-2025       (Interactions और किस्से-कहानियाँ? 12)

काली थार HR 000 और 4 नंबर पे

दूसरी तरफडिफेंस का या शायद हरा सा रंग DL 9C?  

  

चलो कोई सीन घड़ते हैं 

नहीं 

उससे पहले थोड़ा ऑनलाइन इंटरेक्शन्स की तरफ देखते हैं 

आपको कोई हकीकत की ज़िंदगी का सीन देखकर, जाने क्यों किसी गाने के कोई बोल याद आते हैं, खम्बे जैसी खड़ी है, लड़की है या छड़ी है? कौन-सा गाना है ये? अजीब-सा है शायद कोई काफी पुराना, यही सोचते-सोचते आप YouTube खोलते हैं। और जाने क्यों किसी और ही विडियो पर आपकी निगाह टिक जाती हैं। पहले ये देखते हैं, क्या बला है?     



The Odyssey 2026

Release date 17 July, 2026

मुझे ढिशूम-ढिशूम या ज्यादा हिंसा वाली मूवी पसंद नहीं आती। तो क्या बकवास है ये? पानी, आग, पथ्थर, अजीबोगरीब हथियार और मारकाट? छोड़ो। 

चलो कोई सीन घड़ते हैं 

एक तरफ काली थार HR 000 और 4 नंबर पे? चलो रख लो कोई खास नंबर। एक बुजुर्ग औरत के घर के बाहर खड़ी है। और उसमें कोई नौजवान बैठा है। शायद किसी का इंतजार कर रहा है। गाडी के आगे कोई बिजली का खम्बा है और साथ वाले घर की खिड़कियाँ एक साइड। 

दूसरी तरफ एक और गाडी खड़ी है। डिफेंस का या शायद हरा सा रंग DL 9C? फिर से एक बुजुर्ग के घर के बाहर। हालाँकि उतनी बुजुर्ग नहीं, जितनी दूसरी बुजुर्ग औरत। इसमें कोई नहीं है। मगर, इसके आगे भी एक बिजली का खम्बा है।  

दोनों औरतें अपने-अपने घरों पे अकेली रहती हैं। क्यों?

जो थोड़े ज्यादा बुजुर्ग हैं, उनके 5 बच्चे हैं। एक लड़की, सबसे छोटी शायद। और चार लड़के। सब आसपास के शहरों में ही रहते हैं। मगर कभी-कभार सिर्फ लड़की ही आती है शायद, उनसे मिलने। एक आध बार शायद उनका एक लड़का भी।    

दूसरी बुजुर्ग औरत का एक ही लड़का था। वो शायद से बुखार बिगड़ने की वजह से नहीं रहा, काफी साल पहले। इन दोनों गाड़ियों के बीच में दो घर हैं। एक रोड पर ही। और दूसरे घर की गली जाती है अंदर की तरफ। इसी रोड वाले घर के पीछे है वो घर। एक लड़की इन गाड़ियों को बड़े ध्यान से निहारते हुए घर के अन्दर जाती है। थोड़ी-थोड़ी बारिश आ रही है, जो जल्दी ही तेज हो जाती है। और ऐसे लग रहा है, जैसे, किसी हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हो रही हो। जैसे पिछे दुबई की आर्टिफीसियल बारिश। एक आध मिनट बाद ही अंदर से बाहर कुछ लोग आते हैं। एक, काली थार में बैठ कर चले जाते हैं। और एक उस हरी-सी गाडी में। बाकी वापस घर के अंदर। 

ऐसे लग रहा था, जैसे, एक तरफ उन बुजुर्गों ने गाड़ियों को बाहर कर दिया हो? और दूसरी तरफ? गाड़ियों वालों ने या राजनितिक सिस्टम ने उन बुजुर्गों को अकेला? एक के तो कोई बच्चा नहीं है। मगर, जिनके चार-चार लड़के हों, वहाँ क्या कहा जाए?    

हर किसी की ज़िंदगी में शायद अपनी ही किस्म के झमेले हैं। तो अपने ही माँ या बाप के लिए वक़्त कहाँ होगा? या हो भी तो शायद, पीढ़ियों की दूरी होगी? Generation Gap? या शायद हर घर की अपनी ही कहानी है। मगर ये कहानियाँ जाने क्यों, ऊपर से तो किसी सिस्टम के कोढ़ में रची बसी सी लगती हैं? या सब Random है?

ओह ! भूल ही गई। सालों बाद किसी को उस घर पर देखा। या शायद उस घर के 2 हिस्से होने के बाद, पहली बार? ऐसे कैसे? जिससे मिलने आना था, उसके तो आते ही चल दिए? क्यूँकि, जवाब नहीं हैं, उसके सवालों के? पिछले कुछ सालों के हादसे कह रहे हैं, की जहाँ कहीं मुझसे छुपम-छुपाई या मुझे बाहर रख उस घर में कोई अहम फैसला हुआ है, तभी काँड हुए हैं। 

तुम्हे क्या लगता है, तुम मेरे बैगर उस ज़मीन का फैसला कर सकते हो? ये कोर्ट्स के लिए। ऐसे कोर्ट्स, जिन्होंने लड़कियों को महज़ प्रॉपर्टी बना कर मरने के लिए छोड़ है। पढ़ी लिखी यूनिवर्सिटी में नौकरी करने वाली वयस्क लड़कियों के एकाउंट्स तक कोई और ही, उनकी मर्जी के बिना, नही, विरोध के बावजूद कहना चाहिए, अपने ही हिसाब-किताब की सुविधा अनुसार ईधर-उधर कर रहे हैं ? अरे, सिर्फ लड़कियों के ही नहीं। लड़कों के भी, अगर वो किसी भी तरह से कमजोर पड़ रहे हैं। लूटो, खसूटो और चलता कर दो दुनियाँ से? बहाने तुम्हारे जैसे आदमखोरों के पास हज़ारों हैं। अब ये भी आप में से ही कुछ बताते हैं, वो भी अजीबोगरीब साक्ष्यों के साथ?

चलो, थोड़ा और समझने के लिए कोई और, हकीकत की दुनियाँ की कहानी सुनते हैं।  

Friday, October 17, 2025

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 23

Fight on Your Ancestral Property by Political Parties? Why?

क्या आपकी दादालाही ज़मीन पर राजनीतिक पार्टियों का कोई अधिकार है? क्या वो आपकी जानकारी के बिना आपको ऐसे किसी युद्ध में धकेले हुए हैं? कब से और क्यों? क्या उस अद्श्य युद्ध की वजह से आपके लोगों को भी खा रहे हैं? या आप लोगों की ज़िंदगियाँ हराम कर रहे हैं? मगर कैसे? क्या आपकी अपनी ज़िंदगी भी राजनीतिक पार्टियों की गुलाम है? आपके ना चाहते हुए या विरोध के बावजूद?        

अगर साल, डेढ़ साल के अंदर ही, किसी संदिघ्ध मौत के बाद, जहाँ वो खुद एक स्कूल बनाने वाली थी, अगर कोई पहले से वहाँ स्कूल उस ज़मीन को हड़पता है, बचे-खुचे लोगों से, बहला फुसलाकर या लालच या किसी भी तरह का डर दिखाकर या तरह-तरह के प्रेशर बनाकर, तो उसे क्या समझा जाए? वो भी उस बहन के विरोध के बावजूद। उसपर अपने स्कूल का हिसाब-किताब तक देने से आना-कानी करता है, क्यों? ऐसा क्या छिपाया जा रहा है? 

इन प्रेशर में और इस सबको यहाँ तक पहुँचाने में एक बहुत बड़ा प्रेशर पॉइंट MDU है, जो चार साल Resignation के बावजूद, मेरी सेविंग पर बैठे हुए हैं। अगर सही में देखा जाए, तो ये सब किया धरा ही उनका है।    

लड़कियों के अधिकार दादालाही सम्पति (Ancestral Land) पर? ऐसे हाल में तो और ज्यादा जरुरी हो गया है, इस फाइल को उठाना। आप क्या कहते हैं? वैसे भी जब से घर आई हूँ, मेरे पास ना रहने लायक घर है। जिस खंडहर में मुझे धकेल दिया गया है, वहाँ ना पानी, ना बाथरुम और ना ही बिजली। बस ऐसे ही कोई तार लटक रहा है जैसे। मुझे समझ नहीं आता, की माँ यहाँ कैसे रहती थी? तो जिस इंसान ने अपनी सारी ज़िंदगी ऐसे हालातों में गुजार दी हो, वो कहाँ से सोचेँगे की पानी, बाथरुम या बिजली जैसी जरुरतें अहम होती हैं? ऐसा नहीं है, की भाई के पास बहुत है। हालाँकि, कहने वालों ने ऐसा कहकर बहुत भड़काने की कोशिशें की। इतना कम होते हुए भी उसने जो कुछ इकठ्ठा किया है, हाँ वो जरुर अहमियत रखता है। कैसे? हालाँकि, भाई का जो घर है, दिक्कत उसमें भी बहुत हैं, उस पर कोई और पोस्ट की राजनीतिक पार्टियाँ आपके घरों में बिमारियाँ कैसे परोसती हैं। और आपको खबर तक नहीं चलती की वो ऐसा कर रहे हैं? यही गुप्त तंत्र का कमाल है, की वो अदृश्य होते हुए आपके तकरीबन सब फसैले खुद लेता है। मगर, वो सब करते हुए तो आप दिखते हैं। मतलब, गोटियाँ भर उनकी।             

कहीं किसी विडियो में Ancestral प्रॉपर्टी पर जानकारी हो, तो जरुर बताएँ प्लीज। और किसी वकील की बजाय ऐसा कोई केस, अगर किसी को खुद ही लड़ना पड़े, तो क्या कुछ करना पड़ता है? Procedure Please? जाने क्यों लग रहा है, की वो ऑनलाइन वाले कोर्ट तो सो चुके हैं? हे कोर्ट्स, आप सो चुके हैं? जाग रहे हों तो, ईधर भी देख-सुन लो। अब जरुरी नहीं की आपके हर फैसले को मैं या मेरे जैसा कोई आम इंसान सही ही कहे। आखिर उसमें भी थोड़ी बहुत सोचने समझने की क्षमता तो होगी? अब बोलना भी शायद आप लोगों से ही सीखा है, तो इतना तो भुगतना पड़ेगा?       

एक छोटा सा किसान, जो 2-4 किले में खेती करके अपना गुजारा कर रहा हो, वो भी ऐसी परिस्तिथियों में, जहाँ बीवी किसी बिमारी की भेंट चढ़ चुकी हो। वो जो खुद एक टीचर थी, किसी प्राइवेट स्कूल में और घर को चलाने में सहायक भी। अब ये भेंट वैसे ही है, जैसे कोरोना के दौरान कितनी ही और बिमारियों से लोगों का दुनिया को अलविदा कह जाना। जो बहुत से प्रश्न छोड़ता है, ऐसे-ऐसे खुँखार हॉस्पिटल्स पर भी और कुछ हद तक उनके डॉक्टरों पर भी। ये स्कूल के साथ वाली ज़मीन सिर्फ आधा किला नहीं था, दो  भाइयों के नाम, बल्की, इस घर की लाइफलाइन थी। सबसे बड़ी बात इसकी लोकेशन, गाँव के बिलकुल पास होना। दूसरी, मीठा पानी, जो इस गाँव में कहीं-कहीं है। जहाँ कहीं यहाँ ये कॉम्बिनेशन है, वहाँ जमीने बिकाऊ नहीं होती। भूल जाओ की उनके दाम क्या हैं। उस पर राजनीतिक पार्टियों का इस पर युद्ध। क्यों? ऐसा क्या ख़ास है इसमें? राजनीतिक पार्टियों के लिए ज़मीन ही क्या, हर इंसान, हर जीव जैसे उनके जुए की गोटी भर हैं। फिर क्या सरकारी और क्या प्राइवेट? जिसकी जितनी ज्यादा चल जाए, वही अपने नाम कर लेते हैं, कोढ़ ही कोढों में। और भोले आम लोग सोचते हैं, की ये सब वो खुद कर रहे हैं? उन्हें नहीं मालूम मानव रोबॉटिक्स कहाँ तक पहुँच चुकी है। वो रिमोट कंट्रोल की तरह दूर, बहुत दूर बैठे आपको, आपके परिवार को और ज़िंदगी के हर पहलू को कंट्रोल कर रहे हैं।                  

तो ऐसे स्कूलों, हॉस्पिटलों या संस्थाओँ पर लगामी पर भी कुछ बात कर ली जाए? क्या कहते हैं मीडिया वाले विद्वान? तो आगे किसी पोस्ट का हिस्सा आप ही होने वाले हैं, जो इस विषय पर ज्यादा सही जानकारी या खबर चलाएँगे?   

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 22

RTI Or Mandatory Information Disclosure for any Trust or Society 2

सोचा याद दिलवा दूँ, कहीं खूनी स्कूल वाले भूल तो नहीं गए?  

 

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 21

RTI Or Mandatory Information Disclosure for any Trust or Society 1


Dear Concerned authority,

Director, Principal, Manager or Whoever

Arya Senior Secondary School, Madina, Rohtak


You are requested to provide the following details as per RTI 


What is the name and registration number of the trust or society of Arya Sr. Secondary School?

In which year, it was founded?

Who are the members of this trust or society?

What are the rules and regulations governing this trust? Please provide a copy of all above.

How much property this trust has till now on different members' names?  Give a chronology of the assets obtained over the years. It can be in the form of land purchase or building construction or lab or library formation or any vehicle purchased or any other such item.

Give a list of all sources of income of this trust.

How many students or teachers or other supportive staff, schools belonging to this trust or society have?

What is the fee structure or any other income resources of this trust?

What is the salary of teachers and other supportive staff on paper and in reality in your school/s?

What percentage or bonus, dearness allowances etc. teachers and other staff members get from the additional income?

What kind of updation or refresher courses, your school provide to teachers and other staff? 

What is the time line, for teachers or staff updation or refresher courses?

How frequently have your teachers or staff members changed your school? What was the duration or reasons for their leaving your school?

Did any teacher, staff or student have any complaints against your school?

What is the criteria of conflict resolution in your school?

Do you listen to the concerned person, if there is any genuine problem or get rid off, because your management feels that person has no power or resources or even knowledge to challenge your school's wrongdoings?

Do you have any complaints regarding encroachment or wrongly taken over any land or property? If yes, what kind of resolution mechanism does your trust provide for that? 

In the first place, why such a complaint is there if any, as you are registered a trust or society for the benefit of society, not to exploit vulnerable people. And why should not your registration be cancelled by the concerned authority? 

One such verbal complaint was done by me, your younger cousin, Vijay Dangi and you said that you will provide the details of the bank account of that purchase. It did not happen till today. I had to take this route after much wait. You are requested again not just to provide the details of Sunil’s property along with your school but Ajay property also and any such property purchased by any member of this school’s trust or society.


You are requested to provide the following information in the form of print and soft copy via the same email from which you got it about Arya Senior Secondary School, Madina and related trust or society under Right to Information Act (RTI). 


In case of print, please stamp and sign it properly on each and every page, along with date and page number. Whatever charges will be for print copies will be given in cash (bill mandatory). In case, you feel there would be charges even for soft copy via email, then please add them also.


Dr. Vijay Dangi

Mobile 9 ......... 

Monday, October 13, 2025

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 20

 1 Feb 2023 को रितु की मौत के बाद 

पहला जो प्रोग्राम चला, वो था किसी औरत को उस घर में घुसेड़ना। और जल्दी ही उसका घर से बाहर होना। 

दूसरा? 

वो स्कूल जिससे निकल कर रितु आई थी इस घर में बहु बनकर, उस स्कूल के साथ वाली एक भाई की ज़मीन निगलने का काम। सुनील (भाई) की ज़मीन, लक्ष्य (भतीजा) नाम के गुंडे द्वारा धोखे से, 2 बोतल से अपने नाम करना। और एक दूसरे गुंडे अजय दांगी द्वारा ये सब करवाना। December 14 2023?  

बहन विजय दांगी के विरोध के बावजूद। 

एक भाई, चाचा का लड़का और दूसरा भतीजा दूसरे दादा के यहाँ से। वो दूर बैठ जिन्हें आप बच्चा समझते रहे? गाँव आकर पता चलता है, की वो बड़े उस्ताद हो चुके हैं। 

एक खुद को किसी खास पार्टी या कहो की खुफिया एजेंसी का लोकल ठेकेदार बता रहा था। फेँकने में यहाँ ज्यादातर अपने फ़ेंकू के जैसे ही हैं। तो दूसरे को, दिल्ली गैंग का छोटा-सा कोई प्यादा बताते हैं। बच्चे ने वहाँ से पढ़ाई की है थोड़ी। और बच्चे को अब बच्चा बोलना बँध करो।   

अगर कोई ज़मीन दो भाइयों के नाम है और उसका एक हिस्सा, कोई किसी पीने वाले को 2 बोतल देकर लेने की कोशिश करे, तो क्या वो ले सकता है? या बड़ी बहन के विरोध का कोई अर्थ है वहाँ? क्या उसकी सहमती के बिना वो ज़मीन बेची जा सकती है?  

और बेची भी कितने में? 5-6 लाख? वो ज़मीन जिसपे इन स्कूल वालों की निगाह तभी से थी, जब उन्होंने ये स्कूल बनाया (2000 या 2001?)। मगर मिली नहीं। वो ज़मीन जिसकी आज वहाँ कीमत करोड़ों में है। 2 कनाल, 5-6 लाख? सही सौदा है?

बहन ने ज़मीन के वो धोखाधड़ी वाले पेपर मिलने के बाद विरोध और तेज कर दिया। मगर साहबों के राजनीती वाले इस इलाके में औरतों की भला कौन सुनता है? यहाँ बहन बेटियों के नाम ज़मीन नहीं होती? अरे? ये क्या बोल गए ये? मेरे घर में तो मेरी अपनी बुआ के नाम है आजतक। एक ही बुआ है मेरी, दो भाईयों के बीच। ठीक वैसे जैसे मैं एक बहन, और दो भाई। तो उस घर में भी ऐसे कैसे हो सकता है की बहन की कोई सुने ही ना? या उसके विरोध करते-करते बड़े भाई लोग गुंडों की तरह व्यवहार करने लगें? अब वो लें या ना, वो उनकी अपनी मर्जी। मगर बहन की सहमती के बिना खाने का रिवाज़ कम से कम, इस घर में तो नहीं था। 

किस्सा यहीं नहीं थमा। 

उसके बाद अजय दांगी से बात हुई। उसने पहले तो मना कर दिया की उसका इस सबसे कोई लेना देना नहीं है। उसके बाद जब उसे बताया गया की सबूत हैं तेरे खिलाफ। ज़मीन बचेगी तेरी भी नहीं और ना ही तू। तो महानुभव बोलता है, उसे मैं खुद ही बेच दूँगा। और कुछ वक़्त बाद सुनने में आया की उसने भी अपनी स्कूल के साथ वाली ज़मीन इन्हें दे दी, किसी दुकान के बदले। बढ़िया। ये काम तो वो पहले भी कर सकता था। हमारे यहाँ ये कबाड़ रचना ज़रुरी था? उनके ढाई किले वैसे ही हो जाते। 

बात इतने पर भी नहीं रुकी। पीछे किसी पोस्ट में कोई खास नौटंकी पढ़ी होगी आपने। एक तरफ आर्मी कलर की गाडी और दूसरी तरफ काली थार। और इनके बीच वाले घर में काफी सालों बाद एक खास इंसान दिखा। यही स्कूल का मालिक। चल क्या रहा था वहाँ? बलदेव सिंह के एक किले से 2 कनाल और रह गई थी। वही रितु वाली, जहाँ वो स्कूल बनाने वाली थी, उसका सौदा चल रहा था? ना इसमें भी गड़बड़ हो गई थी। जिसने दी ही नहीं थी, उसकी ज़मीन गलती से अपने नाम करवा गए। बहन ने वो पकड़ लिया। तो अब दूसरे की भी ले लो, यही बढ़िया तरीका था? मगर, बहन के आते ही सब तीतर बितर हो गए। सोचो, ख़ुफ़िया तंत्र कितना ख़ुफ़िया है? या कितना खौफनाक? वो ख़ुफ़िया तंत्र आदमी खाता है, खास तारीख, खास महीना और खास साल को। और खास बीमारी और खास जगह (PGI) , एक खास रात और? वो इंसान वापस घर नहीं आता। आती है तो उसकी लाश। उसी खास ज़मीन का ये खास सौदा, खास आदमियों वाले कोडों के बीच। और? आजतक वो उस बहन से भाग रहे हैं? खुद भाग रहे हैं या वही ख़ुफ़िया तंत्र भगा रहा है उन्हें, अपने गुप्त गुप्त तरीकों से? 

क्यूँकि, उस ख़ुफ़िया तंत्र को इस सामान्तर घड़ाई में आगे भी कुछ रचना है। उसकी नीँव बड़े अच्छे से वो रच चुके हैं। मगर, इन गोटियों को अब तक भी खबर नहीं।   

जिसके ये सामान्तर घड़ाई समझ आ रही है, उससे भगाया जा रहा है? या छोटी बहन से? जैसे पहले भी कई बार लिखा, हर केस अलग होता है और सामान्तर घड़ाई बनाने के चक्कर में उनमें बहुत सी कमियाँ भी रह जाती है। उन्हीं कमियों के देखकर आप बता सकते हैं की ये सब अपने आप नहीं हुआ, बल्की, घड़ा गया है। अब एक किले के तीन अलग-अलग हिसाब-किताब और उन्हें लेने के तौर तरीकों पर ही नजर दौड़ा लो। अपने आप समझ आ जाएगा, क्या कुछ और कैसे-कैसे हुआ है। उसपर आगे कोई और पोस्ट।                    

यहाँ पर दो पार्टियाँ अहम बताई। बल्की, कहना चाहिए की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ। ख़ुफ़िया एजेंसियाँ? भला ख़ुफ़िया एजेंसियों का ऐसे छोटे-मोटे ज़मीन के ईधर उधर होने से क्या लेना देना? एक में एक दूर का कजिन है और अकसर उसके नाम के बाद गट्टे लगाकर उसका नाम उछाला जाता है। और दूसरी ख़ुफ़िया एजेंसी में कोई दोस्त या किन्हीं दोस्तों के घर से कहना चाहिए। जिनसे बात हुए ही काफी वक़्त हो चुका। ऐसे तो कोई भी कहीं नौकरी कर सकता है। और कोई भी किसी का भी नाम उछाल सकता है। लेकिन उसके बाद जब कुछ इस पर यहाँ-वहाँ पढ़ा, तो पता चला की सारा तंत्र ही गुप्त है, जो दुनियाँ को चला रहा है। और गुप्त एजेंसियों का उसमें बहुत अहम रोल है। ये जहाँ चाहें दंगे करवा दें और जहाँ चाहें वहाँ शांति। जिन्हें चाहें बसा दें और जिन्हें चाहें उजाड़ दें। 

क्या सच में इतना आसान है ये सब? लगता है, अगर आप सामान्तर घड़ाईयोँ को समझने की कोशिश करोगे तो। जैसे? 2012 या 2013 में यहाँ कोई चमारों या चूड़ों के बच्चों का खून, so called ऊँची जाती वालों द्वारा। और फिर? उस केस की कहानियाँ और कोड। जैसे उस केस में शामिल लोगों के नाम और कट्टे (illegal pistols from UP, Ghaziabad?) के पीछे के संवाद और कहानियाँ। कट्टा अलमारी पे छिपा दिया या वहाँ की ज़मीन में गाड़ दिया। दो बहन-भाहियों की शादी और उनकी शादी की एल्बम को पुलिस द्वारा खँगालना। इसी शादी के दौरान ये काँड हुआ था और इसी ख़ूनी स्कूल में वो शादी हुई थी। सुना है की जिस किसी की शादी इस स्कूल में हुई, वहाँ आगे चलकर कबाड़े ही कबाड़े हुए? और कबाड़े भी कैसे? ये उन लोगों की शादी के बाद के लफड़ों, झगड़ों, मार पिटाईयों या कोर्ट कचहरी के केसों, तलाकों और बच्चों के अनाथ होने से समझा जा सकता है। 

2005 में रितु की शादी, शायद इस स्कूल से ऐसी कोई पहली शादी थी। मगर वो उस स्कूल में नहीं हुई। वो उस स्कूल में पढ़ाती थी। शादी के चक्कर में स्कूल छोड़ना पड़ा या कहो की लताड़ कर निकाला गया था, बड़े ही बेहुदा तरीके से। उस वक़्त के उस स्कूल के डायरेक्टर के वक़्त ये सब हुआ था और उसके बेटे के आते ही मौत और ज़मीन की धोखाधड़ी या येन केन प्रकारेण छीना झपटी।   

इन सब कहानियों, लोगों की ज़िंदगियों की हकीकत से ये समझ आता है की लोगों की ज़िंदगियाँ किस कदर इस गुप्त सिस्टम के कंट्रोल में है। लोगों को इस गुप्त सिस्टम ने ऐसा रोबॉट बनाया हुआ है जिसमें सबकुछ किन्हीं और के अनुसार ही होता है। कौन हैं वो कंट्रोलर्स? जो पुरे समाज को अपने कब्ज़े में रखते हैं? उसी का नाम गुप्त तंत्र है, जो आपको 24 घंटे ना सिर्फ रिकॉर्ड करता है किसी लैब एनिमल की तरह, बल्की, अपने ज्ञान विज्ञान का दुरुपयोग कर आपकी ज़िंदगी भी अपनी स्वार्थ सीधी के हिसाब किताब से चलाता है।  

आज के वक़्त में किसी भी देश का खुफिया विभाग या एजेंसी इस गुप्त तंत्र की एकमात्र कड़ी नहीं है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, सैमसंग जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ, मीडिया, डिफेन्स, पुलिस के कुछ विभाग भी उसका एक हिस्सा हैं।  तो सोचो दुनियाँ में कितने विभाग या एजेंसियाँ आम लोगों तक को रिकॉर्ड करती हैं? सबके कारण अलग-अलग हो सकते हैं। मगर, ईरादा? ज्यादातर एक ही, अपना-अपना निहित स्वार्थ या बाजार।